कांग्रेस बचा पाएगी अर्की का अपना गढ़? क्या रहा है इस सीट का इतिहास

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। 12 नवंबर को राज्य की 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। सभी पार्टियों के प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला 8 दिसंबर को होगा, जब हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा की जाएगी। इन सबके बीच आज हम बात करेंगे राज्य की एक वीआईपी सीट की जहां से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह विधायक रहे। 2017 में हुए विधानसभा चुनावों वीरभद्र सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की। वीरभद्र सिंह को यहां की जनता ने लगभग 54 फीसद वोट दिया। भाजपा के रतन सिंह पाली को हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी के रतन सिंह पाली को लगभग 44 फीसद वोट मिले। 8 जुलाई, 2021 को वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव कराने पड़े थे। 2021 में हुए उपचुनाव में फिर से कांग्रेस के संजय अवस्थी ने जीत दर्ज की थी।

2021 में हुए थे उपचुनाव

2017 में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह ने अर्की विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। जुलाई 2021 में उनकी मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराने पड़े। इस उपचुनाव में कांग्रेस के संजय अवस्थी ने 3277 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने उपचुनाव में भाजपा के रत्नपाल सिंह को 3277 वोटों के अंतर से हराया। भाजपा के रत्नपाल सिंह को 27,216 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी 30,493 वो मिले थे।

2022 में क्या है समीकरण

सोलन जिले की इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। 2021 में हुए विधानसभा उपचुनावों में जीत-हार का अंतर लगभग 3 हजार वोटों का रहा था। इन तीन हजार वोटों के अंतर को पाटकर भाजपा इस सीट पर कब्जा करना चाहेगी। इस काम को अंजाम देने के लिए बीजेपी ने इस बार गोविंद राम शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। पहले के चुनावों में इन सीटों पर केवल दो पार्टियों के बीच मुकाबला हुआ करता था। इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।