मोदी के मुकाबले कौन? खुद को ‘शहीद’ बता राहुल-ममता-नीतीश… की कतार में खड़े होंगे उद्धव ठाकरे

शिवसेना के चुनाव चिह्न को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच कानूनी लड़ाई लंबी होती नजर आ रही है। ऐसे में ठाकरे कैंप आगे की तैयारियों में जुट गया है। सूत्रों का कहना है कि मातोश्री की योजना उद्धव ठाकरे को ‘शहीद’ के तौर पर पेश करने की है। इसके जरिए बीजेपी के शासन करने की रणनीति पर सवाल उठाया जाएगा। साथ ही यह संदेश देने का प्रयास होगा कि उद्धव ठाकरे से गलत तरीके से मुख्यमंत्री की कुर्सी छिनी गई।

बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे को अब राष्ट्रीय स्तर के नेता के तौर पर भी पेश करने की तैयारी है। ठाकरे गुट के सूत्रों का कहना है कि वह खुद को केंद्र में मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर पेश करने की कोशिशों में भी जुट गए हैं। ठाकरे गुट के एक नेता बताया, ‘इस तरह उद्धव खुद को राहुल गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की कतार में खड़े होंगे।’

मराठी भाषी लोगों की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश

उद्धव ठाकरे खुद को ‘शहीद’ के तौर पर पेश करके मराठी भाषी लोगों की सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं। ठाकरे गुट का मानना है कि इससे वो राज्य में आसानी से मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बना सकेंगे। उद्धव अपने बयानों में भी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमलावर रहे हैं।

कुछ दिनों पहले ही ठाकरे ने कहा कि भाजपा हमेशा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल लागू करने के फैसले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधती है। हालांकि, न तो इंदिरा गांधी ने शिवसेना को खत्म करने की कोशिश की और न ही कांग्रेस के नेतृत्व वाली किसी अन्य सरकार ने शिवसेना के खिलाफ इतना कठोर कदम उठाया।

भाजपा-पीएम मोदी पर सीधे हमलावर हैं उद्धव

उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया कि भाजपा के समर्थन से पद पाने वाले 40 बागी नेताओं को उनकी जरूरत खत्म होने पर शराब की खाली बोतल की तरह फेंक दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘गद्दारों ने पहले धोखे से मेरी कुर्सी छीनी और शिवसेना व इसकी विरासत को हथियाने का प्रयास किया। अब उन्होंने इसके चिह्न पर पांबदी सुनिश्चित कर दी।’

मालूम हो कि निर्वाचन आयोग ने अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में दोनों गुटों के पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। उद्धव ठाकरे ने आयोग के इस कदम को अन्याय करार दिया। उन्होंने निर्वाचन आयोग से अपील की कि वह उनके नेतृत्व वाले धड़े की ओर से सुझाए गए तीन चुनाव चिह्न और नाम में से एक पर जल्द अंतिम निर्णय ले।