जाने किया है कलर रिवोल्यूशन?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका पर कलर रिवोल्यूशन को लेकर हमला साधा है। उन्होंने कहा है कि दुनिया अशांति कै दौर में है। ऐसे में कलर रिवोल्यूशन को रोका जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और मध्य एशियाई देशों के नेताओं से इसे रोकने के लिए कहा है। समरकंद में एससीओ के शिखर सम्मेलन में जिनपिंग ने कहा कि हमें विदेशी हस्तक्षेप को रोकने के प्रयास करने चाहिए। लेकिन क्या आपको पता है कि जिनपिंग जिस कलर रिवोल्यूशन की बात कर रहे हैं आखिर वो है क्या? आइए बताते हैं।

क्या है कलर रिवोल्यूशन?

आपको बता दें कि कलर रिवोल्यूशन को रंग क्रांति के नाम से जाना जाता है। दरअसल 2004 में कई देशों में सरकारों के खिलाफ आंदोलन हुए थे। इन आंदोलनों के मीडिया ने कलर रिवोल्यूशन का नाम दिया। इन आंदोलनों ने कई देशों में सत्ता को बदल दिया। कलर रिवोल्यूशन शब्द का इस्तेमाल, मध्य-पूर्व, इंडो पैसिफिक और दक्षिण अमेरिका सहित कई अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। इस तरह के शब्दों की उत्पत्ति फिलीपिंस में 1986 की पीली क्रांति से हुई थी।

कई देशों में हुआ सत्ता परिवर्तन

कलर रिवोल्यूशन जैसे आंदोलनों की वजह से काफी हद तक सफलता भी मिली हैv उदाहरण के लिए 2000 में हुई गोस्लाविया की बुलडोजर क्रांति, 2003 में जॉर्जिया की रोज क्रांति और 2005 में किर्गिस्तान की ट्यूलिप क्रांति शामिल हैं। इस भी आंदोलनों में सरकार का कड़ा विरोध हुआ था। लोगों ने सड़क पर उतर कर सत्ता के खिलाफ आवाज बुलंद की और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की।

चीन ने लगातार किया विरोध

एक तरफ जहां कलर रिवोल्यूशन ने कई देशों में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। वहीं दुनिया के कुछ देशों ने इसका विरोध किया है। रूस, चीन और वियतनाम का दावा है कि कलर रिवोल्यूशन के पीछे अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों की साजिश है। ये उनके देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। चीन तो अमेरिका को लेकर पहले भी हमलावर रहा है। हाल ही में ताइवान को भड़काने को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनाव की स्थिति बनी थी।